ब्लास्ट क्या क्या दे सकता है

असम में एक और धमाका ,कुछ भी नया नहीं ............. हाँ पिछले चार ब्लास्ट में से अब तक का सबसे बड़ा ब्लास्ट जरूर कहा जा सकता है । १३ मई जयपुर,२५ जुलाई बंगलोर,२६ जुलाई अहमदाबाद ,१३ सितम्बर दिल्ली और ३० अक्टूबर असम । कोई आंकडा नहीं दे रही हूँ सभी को ये मालूम है ............हम इतने आदि हो गए है की हमें अब फर्क ही नही पड़ता है क्या हुआ नही हुआ ...........हाँ ये जरूर कहा जा सकता है की इससे मीडिया को ख़बर मिली ,और बड़े जर्नलिस्ट को आर्टिकल और एडिटोरिअल लिखने का मौका ............रूलिंग पार्टी को लोगों के करीब जाने का मौका मिला .........और विपक्षी को विवाद का मुद्दा मिला । सबको कुछ न कुछ मिला । सभी खुश हैं जिन्होंने ब्लास्ट किया उन्हें भी जरूर मिली होगी शान्ति .......अशांति फैला कर । बस जिन्हें कुछ नही मिल सका तो वो है आम जनता .......महंगाई में तो पिस ही रही थी ,ऊपर से ये धमाका जिसने इतना हिला दिया की वे आम जनता अब कभी स्थिर हो ही नहीं सकती । त्यौहार से पहले त्यौहार के बाद धमाके अब आम बात हो गए । मंगलवार और शनिवार भी धमाकों के प्रिय दिनों में से एक हो गए हैं । नेताओं के बयां धमाके के बाद सभी को पहले से मालूम हैं । बस मालूम नही है तो ये की आम जनता को ........की उसका बजट कितना गड़बड़ होगा,आज जिससे मिल रहा या बातें कर रहा है ,कल वो उससे मिल पायगा या नही ।लेकिन आब उसमें भी इतनी समझ दरी आने चाहिए की वो भी इन चीजों को भांप सके .........वो भी चुनाव आने से पहले । २९ नवम्बर दिल्ली विधान सभा चुनाव भी शनिवार को है ..........तो इस बार यदि आम जनता शनि वार को धमाका करे तो कोई अचरज नहीं ।

टिप्पणियाँ

Nitin ने कहा…
gud one ..simple but relevant.
बेनामी ने कहा…
Dhmake ho ya menhgaee dono me mare hum gareeb hee jaten hai. Ham aam admee kar bhee kya sakten hai. wo hmara juse nikal kar pite rhten hai.
Unknown ने कहा…
और आपको ब्लॉग लिखने का मौका....मौका सभी को चाहिए लेकिन घटनाओं को किस दिशा में उठाया जा रहा है,यह ज्यादा महत्वपूर्ण है....

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