ज्ञान और अनुभव को कैसे अलग....

ज्ञान और अनुभव को कैसे अलग किया जा सकता है। आप ने बड़े ही फुर्सत में लिखा है कि आपको ज्ञान बघारना नहीं आता है॥आखिर इस ज्ञान को कैसे परिभाषित किया जाए ॥जिसे हम ज्ञान कह कर उपेक्षित ठहरा रहे हैं दरअसल वह भी अनुभवों के आधार पर विकसित हुआ है। इसलिए जिस अनुभव को आप उपयोगी बता रही हैं वह किसी चीज को समझने की क्षमता यानी ज्ञान का पूर्ववर्ती स्वरूप है। किसी का अनुभव दूसरे के लिए ज्ञान बन जाता है। जैसे चाकू की धार को जांचते हुए उंगली काटने का अनुभव अगली पीढ़ी के लिए ज्ञान बन जाता है। जरूरी नहीं कि अगली पीढ़ी हाथ काटने के अनुभव से ही गुजरे।

टिप्पणियाँ

सौम्या झा ने कहा…
i agree wat u said....but i mean dat i hvn`t done any research or i dnt hav any exact figure.may be at some i may be wrong....but wat i felt or wat i m feeling....i m tryng to write them..

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