और कितने सत्यम
मनुष्य यदि अपनी गलती स्वीकार कर ले तो वह माफी का हकदार हो सकता है। लेकिन यदि उस गलती का खामियाजा एक बडे जनसमुदाय को भुगतना पडे,तब माफी का दायरा भी संकुचित हो सकता है। देश की चौथे नंबर बडी आई टी कंपनियों में से एक सत्यम को, उससे जुडे आई टी प्रोफशेनल्स और शेयरधारक इस फर्जीवाडे खुलासे के बाद शायद ही कभी माफ करे। सत्यम के संस्थापक –चेयरमैन बी.रामालिंगा राजू ने अपनी गलती स्वीकार की है कि पिछले दस सालों से कंपनी के बही खातों में हेरा फेरी किया जा रहा है। आवश्यकता से अधिक मुनाफा और आमदनी कंपनी के बैलेंसशीट में दिखाए गए हैं।
सत्यम पिछले कुछ हफ्तों से कर्ज में डूबा हुआ है । अपने दो पुत्र तेजा राजू और रामा बी.राजू की दो कपनियाँ मायटास इन्फ्रास्ट्रक्चर और मायटास प्रापर्टीज को अधिग्रहित करने का फैसला किया उसके बाद से ही सत्यम अपने शेयरधारकों का कोपभाजन का शिकार बनी हुआ है। इस हेरा फेरी में किसी का ध्यान भी नहीं गया क्योंकि यह भी उस दौर में हुआ जब शेयर बाजार आसमान छू रही थी। और अर्थव्यवस्था के साथ साथ कारपोरेट क्षेत्र बूम कर रहा था ।
लेकिन इस प्रकरण के बाद अब देशी-विदेशी निवेशक कंपनियाँ के हर पहलू पर सीधी निगाह रखेंगे। और इस में कुछ ऐसी और कंपनियाँ सामने आ सकती है जो इस बूम के दौर मनमानी तरीके से पैसे कमाए हैं। और इससे बडे घोटाले के लिए कॉरपोरेट क्षेत्र को तैयार रहना चाहिए। वैसे इस सत्यम के इस हालत के जिम्मेदार इस व्यवस्था के पालनहार और कर्ताधर्ता भी हैं जो इस हेरा-फेरी के वक्त आंखें मूंदे हुए थे। इस घटना के बाद से तो यही लगता है कॉरपोरेट मूल्य सिर्फ कहने भर को है। इनके दायरे मीटिंग और फाइलों तक ही सीमित हैं।
सत्यम पिछले कुछ हफ्तों से कर्ज में डूबा हुआ है । अपने दो पुत्र तेजा राजू और रामा बी.राजू की दो कपनियाँ मायटास इन्फ्रास्ट्रक्चर और मायटास प्रापर्टीज को अधिग्रहित करने का फैसला किया उसके बाद से ही सत्यम अपने शेयरधारकों का कोपभाजन का शिकार बनी हुआ है। इस हेरा फेरी में किसी का ध्यान भी नहीं गया क्योंकि यह भी उस दौर में हुआ जब शेयर बाजार आसमान छू रही थी। और अर्थव्यवस्था के साथ साथ कारपोरेट क्षेत्र बूम कर रहा था ।
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